लोकगीत : नामकरण :
नवप्रसूता के शुद्धीकरण से लेकर शिशु
को भूमि स्पर्श कराने तक की प्रकिया
और ज्योति पूजन, आरती आदि।
आज बाजि रहे बाजा बाजि रहे
रामीचंद्र दरबार लछीमन दरबार
बधाई है रात्तए बाज बाजिये रात्तए
तू उठ रानी बहुआ सीतादेही बहुआ
बहुरानी ओढ़ाे दक्षिण को चीर ए
हम तो ओढि़ रहे, हम तो पैरि रहे
अपने बाबुल परसाद, ससुर दरबार
पिय परसाद, लला के काज
सैंयां के राज, बलम दरबार ….