दोहावली : अभिलासा :
समय बदंल्छ बदंल्छ युग
नै बदल्न इंसान
आज लगै ऊ सोचन्नौ
दुर्योधना समान
पैंस बिना यो जिंदगी
जस रुख बिन फल फूल
जां लै हुन्नै बर्ख तुम
वां है ली आ गूल
मिखन मिलौ बांकि बांकि मिलौ
अर सब्बौ है पैंलि
जां द्यख जै द्यख बस योई
अभिलासा रै फैलि