साहित्य : कथा साहित्य :
साहित्य एक शांत नदी की तरह अग्रसर होता है। अपने प्रवाह की निरंतरता में जिस
प्रकार नदी कभी कठोर चट्टानों से टकराती हुई, कभी जंगलों के बीच गूंजती हुई और
कभी समतल क्षेत्र में छलछलाती हुई अनेक रूप धारण करती है; उसी प्रकार साहित्य
भी विभिन्न मनःस्थितियों अथवा विविध परिस्थितियों में नाना रूप धारण करता हुआ
सदैव गतिशील रहता है।
कहानी को साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा माना जाता है। इनके माध्यम से हम
समाज के विभिन्न प्रकार के पात्रों के चरित्रों के विशिष्ट व्यवहार से अवगत होते हैं। इस
व्यवहार में पात्रों के विचारों और भावों के अतिरिक्त हमें उनके परिवेश की झांकी भी दिखती
है, जिसके माध्यम से कथा साहित्य के पाठक किसी समाज की खास संस्कृति से परिचित
होते हैं।
हिंदी कथा साहित्य का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के
भारतेंदू युग में गद्य की अन्य विधाओं के साथ साथ कहानी और उपन्यास की भी आधारशिला
रखी गई। द्विवेदी युग में सम्यक् रूप से इनकी भाषा का भण्डार भी समृद्ध हुआ। इस युग के
बाद हिंदी गद्य साहित्य को पुष्पित पल्लवित करने वाले साहित्यकारों में प्रेमचंद, प्रसाद, रामचंद्र
शुक्ल जैसे नामों की लंबी सूची है।