सिनेमा : गणतंत्र :
गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश में यत्र तत्र सर्वत्र राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
असंख्य मंचों पर राष्ट्रीयता और राष्ट्र प्रेम संबंधी भाषण होते हैं। शिक्षण संस्थाओं में
वाद विवाद तथा खेल कूद की प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। सारे शहरों में सभाएं ,
कवि सम्मेलन, मुशायरे वगैरह होते हैं। दिल्ली में यह पर्व विशेष धूमधाम से मनाया
जाता है। इस दिन राजधानी दुल्हन की तरह सजती है और राष्ट्रपति सेना के सभी
अंगों का अभिवादन स्वीकार करते हैं –
देशप्रेम ही आजादी की दुलहनिया का वर है
इस अलबेली दुलहन का सिंदूर सुहाग अमर है
माता है कस्तूरबा जैसी बाबुल गांधी जैसे
चाचा जिसके नेहरू शास्त्री डरे न दुश्मन कैसे
वीर शिवाजी जैसे वीरन लक्ष्मीबाई बहना
लक्ष्मण जिसके बोस भगतसिंह उसका फिर क्या कहना
जिसके लिए जवान बहा सकते हैं खून की गंगा
आगे पीछे तीनों सेना लेकर चलें तिरंगा
– इंदीवर (फिल्म : पूरब और पश्चिम)