भाषा : वचन :
संज्ञा की संख्या का बोध कराने वाले रूपिम को वचन कहते हैं। वचन वाक्य में
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा अन्य रूपों को भी सम्यक् रूप से प्रभावित करता है।
कुमैयाँ में दो वचन प्रचलित हैंः
1. एक वचनः मे्रो् चे्लो् बजार जान्नौ।
2. बहुवचनः हम्र च्याल् बजार जान्यान।
इन दोनों उदाहरणों में सर्वनाम तथा क्रियारूप वचनानुसार हैं। ये दोनों संख्या सूचक वचन हैं।
इनके अतिरिक्त कुमैयाँ में आदर प्रदर्शित करने के लिए एक वचन के साथ बहुवचन रूपों का
प्रयोग किया जाता है, जिसे आदर सूचक बहुवचन कह सकते हैं ;
जैसे – त्याड़ज्यू कति समझदार छन (हैं)
आदरसूचक बहुवचन पर संख्यासिद्धान्त लागू नहीं होता। अतः वचन का निर्णय करते समय
सन्दर्भ तथा प्रसंग की भी सहायता ली जानी चाहिए। कुमैयाँ में कुछ ऐसे संज्ञा शब्द भी हैं,
जिनका प्रायः बहुवचन में ही प्रयोग किया जाता है ; जैसे – थोल /ओष्ठ, परान / प्राण,
चा्न / चना, ग्यूं / गेहूँ आदि। …. अधिक के लिए – ‘DEVDAAR.COM’ पर विजिट करें।