विनोद : भागम भाग :
आज हर आदमी किसी न किसी खुशी के पीछे ऐसे दौड़ रहा है, जैसे जैरी के पीछे टॅाम दौड़ता रहता है।
कोई खुशी कभी जरा देर के लिए हाथ आती भी है, तो जैरी की ही तरह मुंह चिढ़ाती है और मौका
निकाल कर भाग जाती है। लेकिन वह हताश नहीं होता। उम्मीद की किरन उसे फिर दौड़ाती है।
इस भागम भाग में वह ऐसे जी रहा है, जैसे बस के इंतजार में सड़क के किनारे चाय पीता हुआ मुसाफिर
किसी भी गाड़ी की आहट सुनकर गरमा गरम चाय को फटाफट सुड़कने लगता है। उसकी नजर अर्जुन की
तरह सिर्फ्र लक्ष्य पर है। आस पास की बाकी चीजों के लिए उसमें कोई संवेदन नहीं बचा है।
वह आपके पिता के निधन पर भी इसलिए दिलासा देने नहीं आता कि वह आपका शुभचिंतक है। बल्कि वह
यह जानता है कि जब उसका बाप मरेगा, तब उसे आपके दिलासे की जरूरत पड़ेगी। ठीक उसी तरह जैसे
दूसरों का भविष्य बताने वाला हर ज्योतिषी अपने ही कल के बारे में एकदम निश्चिंत नहीं हो सकता।
निश्चिंत तो अब वे बच्चे भी नहीं, जो निश्चिंत होकर टॅाम एण्ड जैरी की भागम भाग का लुत्फ उठाते हैं।
अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए आखिर उन्होंने भी तो अपने सहपाठियों के साथ बचपन से ही
जाॅगिंग करना शुरू कर दिया है। आगे भी हर नई चाहत के पास उन्हें अपने ही बैच के संगी साथी अपने
इर्द गिर्द दौड़ते दिखेंगे।