भाषा : संज्ञा :
किसी प्राणी, भाव, वस्तु या स्थान का बोध कराने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं।
संज्ञाओं को चार भागों में वर्गीकृत किया जाता है – व्यक्तिवाचक – शिव, गंगा
जातिवाचक – बोट, बल्द, भाववाचक – दाय्, रीस, क्रियार्थक – हिट्नो् , पढ़नो्।
क्रियार्थक संज्ञाएँ क्रिया के भाव का बोध कराती हैं।
कुमैयाँ में रूप रचना के आधार पर संज्ञापद ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत – तीनों रूपों में
मिलते हैं – दिदि / दीदी /दीदीऽ ; इज, इजा, इजाऽ। इसके अतिरिक्त बोलते समय
विभिन्न भावों या विचारों के अनुरूप अर्थ द्योतन करने के लिए शब्द में होने वाले परिवर्तन
को रूपान्तर कहते हैं, जैसे – चेलि, चेलो्, च्याल। यह रूपान्तर लिंग, वचन और कारक
के अनुसार होता है।