विनोद : हवाखोरी :
जीने के लिए जिंदगी, जिंदगी के लिए सेहत, सेहत के लिए कसरत और कसरत के लिए खुराक जरूरी
मानी जाती है, पर आजकल डाइटीशियन खाने पीने के नाम पर जो लिस्ट थमा देते हैं, उसके हिसाब
से रोज सौ पचास दंड नहीं पेली जा सकती। उसकी जगह डाॅक्टर साहब योगा करने या पार्क में घूमने
की सलाह देते हैं।
पार्क में प्रवेश करने की सुविधा चारों तरफ से होती है। हर दिशा से आने वाले लेफ्ट हेण्ड ड्राइव स्टाइल
में अक्सर बाईं तरफ मुड़कर घूमना चालू कर देते हैं। इस तरह सुबह सुबह एक दूसरे के पीछे पीछे लगातार
घूमने वालों को उनकी पीठ से ही पहचान लिया जाता है और चलते चलते दुआ सलाम भी चलती रहती है।
लेकिन बिरले लोग कहां नहीं होते ? पार्क में भी होते हैं। वे होते तो इक्के दुक्के ही हैं, पर राइट हैण्ड
ड्राइव के मूड में विरोधी दिशा से आने वाले हवाखोरों को हर राउण्ड में बार बार दर्शन देते हुए बड़ी शान
से उनके बीच से गुजर जाते हैं। वे भी शायद खानदानी बहादुरों की तरह पीठ दिखाना पसंद नहीं करते।
मजे की बात यह है कि आदमी आंखें होते हुए भी अपनी पीठ और अपनी शकल खुद नहीं देख सकता।
आईने में अक्स भले ही देख ले, पर पीठ तो ठीक से खुजला तक नहीं पाता। इसलिए बिना किसी दूसरे
की मदद के यह जानना भी आसान नहीं होता कि किसी की पीठ पीछे हो क्या रहा है ?