लोकगीत : अग्नि स्थापन :
होम हेतु अग्निदेव की चारों दिशाओं में खोज की जाती है,
जो अन्तत: पीपल के पेड़ के नीचे मिलते हैं। ……
पूर्व को देश मैले हेरी फेरी नहीं पाया
वैश्वानर देव ए नहिं पाया
पश्चिम को देश मैले हेरी फेरी नहीं पाया
वैश्वानर देव ए नहिं पाया
उत्तर को देश मैले हेरी फेरी नहीं पाया
वैश्वानर देव ए नहिं पाया
दक्षिण को देश मैले हेरी फेरी नहीं पाया
वैश्वानर देव ए नहिं पाया
पीपल की डाली मुणी पाया छन
वैश्वानर देव ए पाया छन
चल तुमी वैश्वानर मध्य लोक
तुम बिना होम नहीं यज्ञ ए तुम बिना