सिनेमा : संस्कृति :
जय हिंद के नारों से धरती को हिलाने वाला गणतंत्रोत्सव देश की सांस्कृतिक अखंडता का भी परिचायक है।
इस विशाल देश में विविध धर्माें के अनुयायी रहते हैं। उन सभी धर्माें की शिक्षाओं के आलोक में सामूहिक
रूप से प्रगति पंथ खोजना भारतीय संस्कृति की निजी विशेषता है। इस खोज का आधार यह है कि मानव
मानव में कोई भेद नहीं, मानव समुदायों में कोई भेद नहीं। हर धार्मिक विचारधारा का आंतरिक तत्व एक है, भौतिक जगत से उपर आध्यात्मिक तत्व एक है। अतः सभी को गले लगाने और उनकी अच्छाइयां अपनाने में
कोई हर्ज नहीं –
जो जिससे मिला सीखा हमने गैरों को भी अपनाया हमने
मतलब के लिए अंधे होकर रोटी को नहीं पूजा हमने
अब हम तो क्या सारी दुनिया सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है
– शैलेन्द्र (फिल्म : जिस देश में गंगा बहती है)