कविता : त्रिलोकतंत्र :
इहलोक
पुराने शास्त्रों में
देवताओं की दुनिया को देवलोक,
राक्षसों की दुनिया को दानव लोक
और हमारी दुनिया को मृत्युलोक कहा गया है
इस लोक में
कोई जगह ऐसी नहीं जहां पर गम न हो
कोई आदमी ऐसा नहीं जिसको गम न हो
किसी गमगीन जगह पर
कोई गमज़दा आदमी
जब जश्न मनाता है
तब उसे जो मजा आता है
उसे लूटने की तमन्ना
कहते हैं कि
देवताओं के दिलों में भी
गुदगुदी पैदा कर देती है।