गजल : होते हैं :
जो अपनी जिंदगी में प्यार से महरूम होते हैं
हवा-ए-गर्दिश-ए-तकदीर के मजलूम होते हैं
बखत पहचान करवाता है दिल की और नीयत की
शकल से तो सभी अपनों से ही मालूम होते हैं
नहीं होती जरूरत जिनको सबकी वाहवाही की
बहुत से काम अपने आप में ही धूम होते हैं
हवाएँ जंगली उनको बना देती हैं आवारा
दरख़्तों के नए अँकुए बड़े मासूम होते हैं