विचार : जनसंचार :
किसी कार्य या उत्पाद के संदर्भ में जनसंचार माध्यमों द्वारा सामान्यजन को मनाने की कला उसकी ख्याति
या बिक्री बढ़ाने के काम आती है। एक जमाना था, जब पिता अपने पुत्र को उंगली पकड़ा कर बाजार घुमाने
ले जाता था और धीरे-धीरे पुत्र यह जानने लगता था कि कौन सी दुकान में कौन सी चीज मिलती है।
बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते, वैसे-वैसे यह भी जानते जाते कि कौन से स्कूल में अच्छी पढ़ाई होती है और किस अस्पताल में अच्छी दवाई मिलती है। बहुत सी बातें उन्हें दोस्तों, फेरी वालों या मजमा लगाने वालों के माध्यम
से पता चल जाती थीं। फिर पोस्टरों, अखबारों या पत्रिकाओं के द्वारा भी उनके पास इतनी जानकारियों का ढेर
लग जाता था कि वे उसी के बूते पर एक दूसरे के सामान्य ज्ञान की परीक्षा लेने के लायक हो जाते थे।
जमाने ने करवट बदली, तोे यह जिम्मेदारी रेडियो ने उठा ली। वह बड़े आकर्षक अंदाज में चीजों की बिक्री बढ़ाने का काम करने लगा। फिर जब यह काम दूरदर्शन वालों के हाथ आया, तो तरह-तरह का सामान बनाने वालों की बल्ले-बल्ले हो गई और उसके बाद जब दुनिया भर के चैनलों ने टीवी दर्शकों की विविध मनोवृत्तियों का अतिरंजन प्रारंभ किया, तब विज्ञापनों के कथ्य एवं शिल्प में भी अभिनवता आई।