लोकगीत :: कलश स्थापन ::
गंगा-यमुना के जल, दही-दूध, घी-हल्दी, अक्षत-रोली, रेशमी वस्त्र,
त्रिसूत्र धागा, फूल-दूब, सप्तधान्य, औषधि, धनद्रव्यादि से कलश स्थापना की जाती है।
धरती धरम लै कलश थापि ले
आजु भरियो कलश,
आज बधावन नगरी सुहावन
सप्त धान्य लै कलश थापि ले
तामा का कुंभ लै कलश थापि ले
गंगा जमुना का नीर लै कलश थापि ले
चतुमुर्ख ब्रह्मा लै कलश थापि ले
दधि दूध घृत लै कलश थापि ले
हल्दी की गांठि लै कलश थापि ले
रोहिणी पिठ्या लै साई का अक्षत लै
रेशमी वस्त्र लै त्रिसूत्रा धागा लै कलश थापि ले
फूल-दूब लै कलश थापि ले
गाई का गोबर लै कलश थापि ले
खेत का जौ लै कलश थापि ले
आजु भरियो कलश,
आज बधावन नगरी सुहावन
लाडू सुवाल लै कलश थापि ले
फीणी बतासन लै कलश थापि ले
सर्व धान्य लै सर्व औषधिन लै कलश थापि ले
धन-द्रव्य लै कलश थापि ले
पंच पल्लव लै कलश थापि ले
पंच रतन लै कलश थापि ले
आजु भरियो कलश,
आज बधावन नगरी सुहावन