कविता : नियति
जीवन पथ की चढ़ाई में
अपने हाथ में होने के बावजूद
वह सब नहीं हो पाता
जो होना चाहिए
जीवन पथ के उतार पर
अपने हाथ ढीले पड़ते ही
वह सब होने लगता है
जो होना होता है
कविता : नियति
जीवन पथ की चढ़ाई में
अपने हाथ में होने के बावजूद
वह सब नहीं हो पाता
जो होना चाहिए
जीवन पथ के उतार पर
अपने हाथ ढीले पड़ते ही
वह सब होने लगता है
जो होना होता है