लोकगीत :: आबदेव ::
इन गीतों द्वारा पितृगण को आमन्त्रित किया जाता है।
जाना जाना भंवरिया माथि लोक
मथि लोक पितरन न्यूति ए
नौं नी जाणन्यूं गौं नीं पछाणन्यूं
कां रे होलो पितरन को द्वार ए
जां रे होला सुनु का खुटकुड़ा
रूपा का किवाड़ा रे
वां रे होलो पितरन को द्वार ए
आधा सरग बादल रेखा
आधा सरग चंद्र सूरज ए
आधा सरग पितरन को द्वार ए
वां रे होलो पितरन को द्वार ए ….