सिनेमा :: गीता ::
प्रेम के स्रोत श्रीकृष्ण कालांतर में युद्ध के प्रेरक भी बने। इसीलिए कुछ विद्वान उन्हें संसार का
पहला राजनीतिज्ञ भी मानते हैं। महाभारत की राजनीति के इस अवतारी स्तंभ ने यह भी कहा
कि – ‘संभवामि युगे युगे’। नतीजतन ‘कन्हैया ! कन्हैया ! तुम्हें आना पड़ेगा, वचन गीता
वाला निभाना पड़ेगा’ का सामूहिक उदघोष हुआ। लोग प्रतीक्षा करने लगे, पीढि़यां प्रतीक्षा करने
लगीं, युग प्रतीक्षा करने लगे। फिल्म ‘खानदान’ में गीतकार राजेंद्र कृष्ण ने लिखा –
बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तके ब्रजबाला
पूरा कर दे आज वचन वो, गीता में जो तूने दिया
श्रद्धा जब विश्वास का रूप धारण कर लेती है, तब उपास्य व उपासक के बीच की मर्यादाएं
शिथिल होने लगती हैं। इस संदर्भ में स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज में हिंदी फिल्मों
के जाने माने शायर मजरूह सुल्तानपुरी की ये पंक्तियां दृष्टव्य हैं –
तू जिसे चाहे ऐसी नहीं मैं, हां तेरी राधा जैसी नहीं मैं
फिर भी हूं कैसी कैसी नहीं मैं, मोहे देख तो ले एक बार
कान्हा ! मैं तो आन पड़ी तेरे द्वार, मोहे चाकर समझ निहार (शागिर्द)