विशेष :: कारण ::
आज का युग वाट्सएप का युग है। मुझे हाल ही में मेरे एक मित्र का सिंगापुर से यह मैसेज मिला कि पृथ्वी के एक प्राणी ने सूर्य को संदेश प्रेषित कर पूछा कि आजकल आपने अपना ताप क्यों बढ़ा दिया है ? उत्तर में सूर्य ने टाइप किया कि इसका कारण मैं नहीं , स्वयं तुम हो। दुबारा सैटिंग पर जाओ, वृक्षारोपण अपनाओ और समस्या से छुटकारा पाओ। यह प्रश्नोत्तर भी वर्तमान युग के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश से कम नहीं; क्योंकि विगत समय में तापमान बढ़ने के परिणामस्वरूप निष्पन्न जलवायु परिवर्तन किसी एक देश को नहीं, बल्कि संपूर्ण वैश्विक पर्यावरण को अपनी चपेट में ले रहा है।
अब तो वह समय आ गया है जब प्रदूषण बढ़ाने में सहयोग देने वाले वैज्ञानिक विकास को अपनी प्रगति के मार्ग पर एक बार रुकना होगा, अपने आस-पास की चीजों को पहचानना होगा और पीछे मुड़कर यह भी देखना होगा कि मानव के सुख के लिए की जा रही उसकी महायात्रा से कितने मानव दुखी हो रहे हे। अपनी खुली आखों से यह मूल्यांकन करने के बाद विज्ञान को ही आगे बढ़ कर उस पर्यावरण प्रदूषण को ललकारना होगा्, जो उसके मूल एवं सात्विक लक्ष्य को कलंकित करने लगा है।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से निबटने के अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों में सबसे पहले 1972 में यू0एन0ओ0 द्वारा एक अधिवेशन आयोजित किया गया गया, जिसमें 106 प्रस्ताव स्वीकार किए गए थे। पांच जून को प्रतिवर्ष पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। अमरीका के युवकों ने तभी से ’पर्यावरण बचाओ’ अभियान चला रखा है। भारत में भी उसी साल राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण सम्बन्धी समिति की स्थापना की गई। इसके अतिरिक्त सामान्य भूजल अन्वेषण के तहत विभिन्न जलवैज्ञानिक जलीय विशेषताओं का अध्ययन एवं तत्संबंधित संभावनाओं के आकलन की दिशा में प्रयासरत हैं, ताकि मानवता का जीवन आयुष्मान हो सके।