भाषा :: ध्वनि परिवर्तन ::
य और व को छोड़कर कुमैयाँ के सभी व्यंजन प्रायः ओठों के गोलाकार बनाकर
बोले जाते हैं। य और व क्रमशः ए तथा ऊ / ओ के स्थान पर भी उच्चरित होते हैं।
प्रमुखतः कुमैयाँ में ध्वनि परिवर्तन की दिशाएँ निम्न लिखित हैंः.. अधिक के लिए ‘DEVDAAR.COM’
1. ह्रस्वीकरण – (पीड़ा > पीड़) 2. आगम – (जी > ज्यू) 3. लोप (स्थान > थान) 4. द्वित्त्व (सूप > सुप्प)
5. ऊ > व – (धुआँ > ध्वां) 6. ओ > व (थोड़ा > थ्वड़) 7. ए > य (तेरा > त्यर) 8. य > ज (योगी > जो्गि)
9. ढ़ > ड़ (बूढ़ा > बुड़)10. द > ड (दण्ड > डण्ड)11. श > छ (शनै:चर > छंचर) 12. क्ष > ख (क्षणे > खन्ने)
आ > ओ / ह्रस्वीकरण
कुमैयाँ में हिन्दी आकारान्त संज्ञा/ विशेषण प्राय: ओ्कारान्त उच्चरित होते हैं, जैसे: चेला > चेलो्, भला > भलो् अथवा ‘आ’ के ह्रस्वीकरण की प्रवृत्ति से स्वरांत शब्द व्यंजनांत हो जाते हैं –
कलेजा > कल्ज
पतला > पत्ल
चूतिया > चुत्य
धनिया > धन्य 149 H