रुबाई :: गीत ::
आपने गीत सुनाने को कहा है मुझसे
दरअसल गीत एक आह हुआ करता है
खुशी और दर्द की जजबों पे पड़ी परछांई
या किसी से किसी की चाह हुआ करता है
आह मैंने कभी भरी ही नहीं आज तलक
खुशी ये है कि मैं एक मनचला मुसाफिर हूं
दर्द ये है कि बहुत भीड़ है जमाने में
चाह ये है कि उम्र भर तुम्हारे साथ रहूं .. अधिक के लिए ‘DEVDAAR.COM’