ग़ज़ल :: जब ::
जब लगै हंस्न रयूं भ्यार बटै मीत बणी
और जब रुन पड्यूं त भित्र बटै गीत बणी
भीड़ मैं के छू सही के छू गलत पत्त नहां
जस सबन ले करौ उस्सै करण की रीत बणी
जो रंग रूप बोलण चालण मैं अलग लागणीं
उनूंकैं एक्कै बतौणा क लिजी प्रीत बणी
आदिम आदिम मैं भेद भाव करण छाड़ि दियौ
फिर आफी द्यख लियौ कि हार कसिक जीत बणी .. अधिक के लिए ‘DEVDAAR.COM’