सिनेमा :: संयोग ::
गोपी ग्वालों की दुनिया में बछड़े के सींग निकलने का मतलब यह होता है कि उसने जवानी की डगर में कदम रख दिया है। सींग का पुराना नाम है श्रृंग, जिससे श्रृंगार शब्द बना है। काव्य शास्त्र के अनुसार श्रृंगार के दो भेद होते हैं – संयोग एवं वियोग। फिल्म ‘पुष्पांजलि’ के एक गीत में ‘पनघट पे सखियां करती हैं बतियां, मोहन से लागीं राधा की अंखियां’। फिर फिल्म ‘महबूबा’ के एक गीत द्वारा ज्ञात होता है कि ‘जमना किनारे आजा, छलिया पुकारे आजा, राधा जाए ना। कारण पूछने पर राधा ने बताया –
मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रे
मोरी नाजुक कलाई मरोड़ गयो रे..
अब नंदलाल कुंजों में बैठकर बंसी बजाने लगे। जब राधा को ये शिकायत हुई कि – ‘नींद चुराए, चैन चुराए, डाका डाले तेरी बंसी’, तब उसे गायब करा दिया गया। अब कान्हा की शंका – ‘बंसरी चुराई क्या तेरे मन भाई ? साहिर लुधियानवी के अनुसार – ‘जब जब कृष्न की बंसी बाजी, निकली राधा सज के। जान अजान का ध्यान भुला के, लोक लाज को तज के।’ (बरसात की रात)..अधिक के लिए ‘DEVDAAR.COM’