सिनेमा :: जन्माष्टमी ::
‘कन्हैया ! किसको कहेगा तू मैया ? एक ने तुझको जनम दिया और एक ने तुझको पाला’ – गीतकार चिंतन करते रहे, परिस्थिति मनन करती रही और कन्हैया इतनी गहरी नींद सोते रहे कि उन्हें बार बार जगाना पड़ा – ‘जागो मोहन प्यारे जागो ! ’ जब आर के स्टूडियो की फिल्म ‘जागते रहो’ के इस गीत ने जगा ही दिया
तो इसी स्टूडियो की ‘सत्यं शिवं सुंदरं’ में ‘यशोमती मैया से बोले नंदलाला, राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला ?
ऐसे ही अटपटे सवाल और चुलबुली हरकतें कृष्ण की बाल लीलाएं कहलाती हैं। घर में या घर से बाहर वह जहां कहीं भी रहते हैं, अनोखे करतब करते हैं। प्रारंभ में तो गांव वाले शिकायत करने चले आते थे,पर अब सब समझ चुके हैं कि – ‘बड़ा नटखट है ये कृष्ण कन्हैया, क्या करे यशोदा मैया ? उसके दोस्तों की परेशानी यह है कि वह खेल में कभी भी अपनी हार नहीं मानता। सूरदास के पदों के अलावा फिल्मी गीतों में भी यह तथ्य सामने आया है –
मनमोहना बड़े झूठे
हार के हार ना माने (सीमा) … अधिक के लिए विजिट कीजिए ——-