सूर्य बुद्धि मन चंद्रमा पृथ्वी देह विचार
प्रभु की पावन चेतना जीवन का आधार
ढलता सूरज कह रहा चेत सके तो चेत
धीरे धीरे समय की फिसल रही है रेत
इस जादूगर समय का समझ न आवे राज
आज हमें जो कल लगे, कल हो जावे आज
सूर्य बुद्धि मन चंद्रमा पृथ्वी देह विचार
प्रभु की पावन चेतना जीवन का आधार
ढलता सूरज कह रहा चेत सके तो चेत
धीरे धीरे समय की फिसल रही है रेत
इस जादूगर समय का समझ न आवे राज
आज हमें जो कल लगे, कल हो जावे आज