अमिताभ बच्चन, जिनकी अदाकारी में उनकी आवाज का जादू भी शामिल है, फिल्म ‘रेशमा और शेरा’
में एक गूंगे पात्र को सफलतापूर्वक निभा ले गए। इसी तरह शाहरुख खान, जिनका अंदाज ए बयां हटकर
है, फिल्म ‘कोयला’ में गूंगे बनकर कथानक की भावधारा का नेतृत्व करते रहे। फिल्म ‘अंकुर’ में साधु
मेहर ने भी गूंगे बहरे की भूमिका से ही अपनी अभिनेयता का सिक्का जमाया।
फिल्म ‘खिलौना’ में संजीव कुमार, ‘मजबूर’ में अमिताभ बच्चन, ‘ईश्वर’ में अनिल कपूर या ‘कोई मिल
गया’ में रितिक रोशन का किरदार जितना अलग था, फिल्म ‘किशन कन्हैया’ में श्रीराम लागू या ‘अंजाम’
में शाहरुख खान का रोल उतना ही सरल नहीं था।
इसके अतिरिक्त अन्य कई प्रकार के असाध्य व्याधियों से त्रस्त पात्रों की भूमिकाएं भी अनेक फिल्मों की सफलता
का आधार रही हैं; जैसे ‘आनंद’ में राजेश खन्ना, ‘शोले’ में संजीव कुमार, ‘गजनी’ में आमिर खान, ‘पा’
में अमिताभ बच्चन, ‘गुजारिश’ में रितिक रोशन, ‘माय नेम इज खान’ में शाहरुख खान आदि।