‘सुवाल पथाई’ के गीतों में एक गीत के द्वारा सारे पास पड़ाेस को निमंत्रण भेजा जाता है —
सुवा रे सुवा बनखण्डी सुवा
ज सुवा नगरिन न्यूत दि आ
हरिया तेरो गात, पिंहली तेरी ठून
ललांगि तेरी खाप, रतनारी आंखी
रतनारी आंखी, नजर तेरी बांकी,
तू जा सुवा नगरिन न्यूत दि आ
नौं नी जाणन्यू मैं गौं नी जाणन्यू
कै घर कै नारी न्यूत दि
सीतादेई नौं छ, जनकपुर गौं छ
तैक स्वामी कणि रामीचंद्र नौं छ
अघिल अघवाड़ी पछिल फुलवाड़ी
तू तै घर तै नारी न्यूत दि आ ….