मूल कथा:
एक राजा का सात च्याला छिया। सातै राजकुमार जब ठुल बेउण भया त राजैलै कयो कि यों सातै
राजकुमार तीर चलाल। जैक तीर जै ठौर थैं छुटल, वीक व्या उई जागा में जो चेलि मिललि वीकै
दगाड़ा करि द्यूंल।
सातै राजकुंवरनैंल आपण आपण तीर छ्वाड़ा ओर राजा का आदिमि देखण हूँ गै कि कैक तीर कतिकैं
छुटि रौछ। छै राजकुंवरनाका तीर त भलि भली जागा छुट। उति पन जो चेलि रूनेर भैन उलै भलि घरै
की खूब देखणि चानि भैन। पर कांसैं राजकुंवरक तीर पुजो एक बोटाका ठुंट पन।
राजा का आदिमिनैल वां जैबेर देखो त उ जंगल में क्वै चेलि त कां मिलछि। हां उ बोटाका ठुंट पन एक
बानरि रूनेर भैं। राजौक पैलियै बचन छि कि जैक तीर जां पुजल बांकी चेलि का दगाड़ा वि राजकुंवरक व्या
होलो। राज बचनहार किलै हुन। सबन है नान राजकुंवरक व्या वी बानरि का दगाड़ा हैगे।