सदाचार की शिक्षा देने वाले पाठ, पढ़ाई की किताबों में क्यों शामिल किए जाते हैं
या अपनी आन के लिए जान दे देने वालों के आदर्शों की स्थापना क्यों की जाती है ?
शायद इसलिए कि आने वाली पीढि़यां अपने जीवन में इस तरह के सिद्धांतों को
अपनाएं और उनके कोमल मस्तिष्कों का सामाजिक मूल्यों पर इतना पक्का विश्वास
हो जाए कि वे मरते दम तक किसी भी कीमत पर उनसे विचलित न हों।
लेकिन असलियत कुछ और ही है। कभी कभी वे जो परीक्षाएं देते हैं,
उनकी व्यवस्था में धांधली हो जाती है। वे जिन साक्षात्कारों में उपस्थित
होते हैं, उनके विशेषज्ञ पक्षपात कर बैठते हैं। वे जो खाते पीते हैं, उसमें
मिलावट पाई जाती है या वे जो इलाज करवाते हैं, उसकी दवाइयां नकली
होती हैं। इस तरह की तमाम खबरें अखबारों में पढ़ने को मिलती रहती हैं।