रोएँगे कटे जंगल कहलाएगा सौदाई
तू सोच बुरा क्या है और है कहाँ भलाई
दौलत है ये कुदरत की बरबाद न कर इसको
शायद तुझे लगती है ये हराम की कमाई
ये कमाल की है पूंजी इसे रख सम्हाल कर के
बस सूद से ही सारी पुश्तें पलेंगी भाई
वारिस की वसीयत में तेरा नाम भी लिखा है
कर पेड़ नित लगाकर नुकसान की भरपाई