हिंदी अनुवाद (क्रमशः)
एक रात उस लड़की ने स्वप्न देखा कि उसकी माँ उसके पास आई है। माँ उससे पूछ रही हैः बिटिया, तू इतनी दुबली क्यों कर हो गई है? क्या दुःख समा गया है तेरे मन में?“ वह लड़की स्वप्न में ही अपनी माँ से कहने लगी: ”माँ, मैं बहुत दुःखी हो गई हूँ। यहाँ तो मुझे भर पेट भोजन तक नहीं मिलता। मैं यहाँ नहीं रहूँगी, माँ,
मैं तुम्हारे साथ ही चलती हूँ।“ माँ उससे कहने लगी: ‘‘बिटिया, अपने को इतना दुःखी न बनाओ। कल सुबह से मैं प्रतिदिन सामने उस पीपल के वृक्ष के नीचे एक थाली में तेरे लिए भोजन रख जाया करूँगी, तू वहाँ जाकर वह भोजन खा लिया करना।’’
दूसरे दिन प्रातः जब वह लड़की उस पीपल के पेड़ के नीचे गई तो वहाँ पर उसे एक थाल में अच्छे-अच्छे खाद्य पदार्थ रखे मिले। उस दिन से वह लड़की रोज प्रातः पीपल के पेड़ के नीचे जाकर अपनी माँ द्वारा रखा गया भोजन खा लेती। इसी तरह कई दिन बीत गए। जब सौतेली माँ ने देखा कि वह लड़की तो दिन दूनी रात चैगुनी हृष्ट पुष्ट होती जा रही है तो एक दिन उसने अपनी सौतेली बेटी का छिपकर पीछा किया। जब उसने देखा कि उसकी सौतेली बेटी पीपल के पेड़ के नीचे जाकर अच्छा-अच्छा भोजन कर आती है तो दूसरे दिन से उसने लड़की का बाहर निकलना बंद करवा दिया।
उस लड़की की माँ स्वप्न में फिर आई और अपनी बेटी से पूछने लगी कि तू पीपल के पेड़ के नीचे भोजन खाने क्यों नहीं आया करती? लड़की ने सब बात माँ को बताई तो माँ ने कहा: अपने पिता जी से कहकर तू एक बकरी पाल लेना। तेरे सब क्रष्ट दूर हो जावेंगे।“ लड़की ने वैसा ही किया। रोज सायं लड़की के पास जाकर बकरी अपने थनों का दूध उसे पिला जाती। सौतेली माँ ने फिर छिप कर लड़की का पीछा किया और बकरी को मारकर आँगन में गाड़ दिया। क्रमशः