सांप्रतिक परिवेश में नर नारी समानता के सम्मुख सावधान की मुद्रा में स्थित प्रष्नचिह्न का तनाव
भारतीय संविधान की पुरुषों और स्त्रियों के समान अधिकारों की घोषणा के इतने साल के बाद भी
यथावत् है, क्योंकि अपेक्षाकृत उपेक्षित होने की दशा में नारी कहीं मायके में कुपोषण का शिकार है,
कहीं ससुराल में कम उम्र में मां बनने के लिए विवश है, कहीं नौकरी में मानसिक त्रास झेल रही है,
तो कहीं समाज में यौन शोषण से भयभीत है। यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि आज बालकों की
तुलना में बालिकाओं की संख्या निरंतर कम होती चली जा रही है।
बावजूद इसके भारतीय महिलाओं ने समाज के अलग अलग दायरों में अपनी असरदार उपस्थिति दर्ज
कराई है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केबिनेटमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष,राज्यपाल,मुख्यमंत्री,राजदूत जैसे अनेक
महत्वपूर्ण पदों का सफलतापूर्वक दायित्व संभाला है। सेना, प्रशासन, शिक्षा व चिकित्सा के अतिरिक्त कला
के विविध क्षेत्रों में सराहनीय कीर्तिमान स्थापित किए हैं।