विगत शताब्दी में शहीद भगत सिंह पर तीन फिल्में बनीं। पहली में प्रेम अदीब ने, दूसरी में शम्मी
कपूर ने और तीसरी में मनोज कुमार ने उनकी भूमिका निभाई। मनोज कुमार की ‘शहीद’ के गीत
कार और संगीतकार प्रेम धवन थे। उन्होंने जितने मनोयोग से फिल्म की भावना को अपनी रचनाओं
में ढाला था, उतने ही सौहार्द्र से सिने रसिकों ने उसे स्वीकारा और सराहा था।
नई सदी में पुनः उस नायक को सम्मान देने के लिए राजकुमार संतोषी ने अजय देवगन को लेकर
‘द लीजेण्ड आॅफ भगत सिंह’ तथा गुड्डू धनोवा ने बाॅबी देओल को लेकर ‘23 मार्च 1931 शहीद’
नामक फिल्में बनाईं, जो 2002 में एक साथ रिलीज हुईं। उसके बाद एक बार फिर से वह कहानी
दोहराई गई, लेकिन इस बार बयान करने का अंदाज जुदा था। जमाना बदला, जरूरतें बदलीं, गीत
बदले, धुनें बदलीं, पर भावना वही है – रंग दे बसंती।