फुलझड़ी :

 

 

fuljhadiसी आइ डी में हंसी मजाक की फुलझड़ी सुलगाने का जिम्मा सामान्यत: फ्रेडरिक के
कंधों पर रहा है, जो कभी आत्मा या भूत अथवा कभी अपनी वाइफ के जिक्र के बहाने
सीरियस माहौल को हल्का करने में असफल रहते हैं। किसी प्रकरण के प्रारंभ में कभी कभी
उनसे जूनियर विवेक भी उनके साथ कोई छोटा मोटा मजाक कर लेता है।

देखने वाली बात यह है कि इंस्पेक्टर दया की अनुप-िस्थति में तुरंत दरवाजा तोड़ने को आतुर
फ्रेडरिक सीनियर आँफीसरों के प्रति विनम्रता दिखाने तथा जूनियर आँफीसरों पर रौब गांठने में
कतई कंजूसी नहीं करते। कमरे की तलाशी, घटना स्थल की छानबीन या संदिग्धों से पूछताछ
करते वक्त भी उनकी अदाकारी में किसी चीज का अभाव उनकी अलग छवि को ही पुष्ट करता है।

समस्या विश्लेषण हेतु आम तौर पर अटपटे पर कभी कभी सटीक तर्क देने वाले फ्रेडरिक लाश का
फोटो लेने, फिंगर पिंट उठाने या टायर अथवा जूते की छाप उतारने में माहिर लगते हैं। उनके
मोटापे और अजीब-ओ-गरीब हरकतों के अतिरिक्त उनके बोलने के अंदाज से भी अनेक हास्य की
स्थितियां उपजती हैं, जिनका असर केवल दृश्य में ही नहीं, स्क्रिप्ट में भी दिखाई देता है।

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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